2 गाय बेचकर किश्तों मे ख़रीदा 1 ट्रैक्टर; आज सालाना करते है 50 करोड़ रुपये का बिजनेस

2 गाय बेचकर किश्तों मे ख़रीदा 1 ट्रैक्टर; आज सालाना करते है 50 करोड़ रुपये का बिजनेस ” नीचे पढ़ें पूरी जानकारी। आमतौर पर किसान इस बड़ी हिरणी को करने से डरता है. इसके लिए कई कारण हैं. मुख्य कारण यह है कि खेती ही एकमात्र आशा नहीं है. इसके लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जैसे माल की अनुपलब्धता, कभी सूखे के कारण फसलों को नुकसान तो कभी अत्यधिक वर्षा के कारण. इसके अलावा, किसानों की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं है जितनी होनी चाहिए. बहुत कम किसान हैं जो अमीर हैं. लेकिन आज हम एक ऐसे किसान से मिलने जा रहे हैं जिसने अपनी लगन के दम पर अपना नाम कमाया है. और इस बिजनेस से आज वो 50 करोड़ का सालाना टर्नओवर कर रहे हैं.

यह व्यक्ति महाराष्ट्र के डोंबलवाड़ी गांव के पुत्र विजयराव गलांडे हैं. विजयराव की शिक्षा केवल दसवीं कक्षा तक ही थी. उनके परिवार में पिता और चचेरे भाई सहित कुल 50 सदस्य हैं. इसमें अति मामा भचे सभी शामिल हैं. विजयराव के दिमाग में एक बिजनेस का आइडिया आया जिसने पूरे परिवार की जिंदगी ही बदल कर रख दी. विजयराव ने यह कारोबार 15 साल पहले शुरू किया था. उनके चचेरे भाई कुरकुंभ के पारस फूड्स में कार्यरत थे. उनके पिता के पास एक ट्रक था जो भूसा को कारखाने तक पहुँचाता था. इसी ट्रक ने विजयराव को आइडिया दिया था. उन्होंने इस भूषा के परिवहन के बारे में सीखा. उन्होंने श्रम अनुबंध के बारे में भी जाना.

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, विजयराव ने एक व्यवसाय शुरू करने का फैसला किया. उनका घर का खेत 32 एकड़ का था. विजयराव ने ट्रैक्टर लेने का फैसला किया. लेकिन देने के लिए पैसे नहीं थे. इसके लिए उन्होंने अपनी 2 गायें बेच दी और बैंक ऑफ बड़ौदा से कर्ज लिया और पहला ट्रैक्टर खरीदा. वहीं से चूरा परिवहन का कारोबार शुरू हुआ. उसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. धीरे-धीरे उन्होंने ट्रैक्टर खरीदना शुरू कर दिया.

उन्होंने एक फैक्ट्री से जो काम शुरू किया था वह अब 40 फैक्ट्रियों तक पहुंच गया है. आज गलांडे कायागुडे परिवार 40 कारखानों में चूरा परिवहन और श्रम अनुबंध का काम संभालता है. जिस परिवार के पास कभी एक ट्रैक्टर हुआ करता था, अब उसके पास 180 ट्रैक्टर हैं. परिवार ने हाल ही में बारामती के एक शोरूम से 30 ट्रैक्टर खरीदे हैं.

आज गलांडे कायागुडे परिवार का कारोबार विजय राज ग्रुप के नाम से चलता है. आज इस समूह से करीब ढाई हजार लोगों को रोजगार मिलता है. उन्होंने विजयराज समूह में काम करने के लिए आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, बिहार और उत्तर प्रदेश के मजदूरों को भी लाया है. इस समूह का कार्य वर्ष के दस महीनों के लिए किया जाता है जिससे समूह प्रति वर्ष 50 करोड़ रुपये का कारोबार करता है.

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Live Reporter अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

Umi Patel

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