UPSC Success Story: IAS, IPS की फैक्ट्री है यूपी का ये गांव, यहां से सबसे ज्यादा आईएएस, आईपीएस अफसर मिले हैं।

उत्तर प्रदेश के जौनपुर के छोटे से गांव माधोपट्टी (Madhopatti) ने सफलता की एक नयी किताब लिखी है जहां 75 परिवारों ने देश को कुल 47 सिविल सेवा अधिकारी दिए हैं। जहां दिल्ली जैसे महानगर सिविल सर्विस की तैयारी के लिए मशहूर हैं वहीं माधोपट्टी भी पूरी तरह दिल्ली को टक्कर देने के लिए तैयार है। यूपीएससी यानी सिविल सेवा परीक्षा (UPSC Civil Services Exam) देश की कठिनतम परीक्षा मानी जाती है जिसकी तैयारी करने में परीक्षार्थी दिन-रात एक कर देते हैं। ये एक ऐसी परीक्षा है जहां परीक्षार्थी की लेखनी और पर्सनैलिटी दोनों की जांच होती है। ऐसे में आवश्यकता है, सही प्लान और सही दिशा में तैयारी की जिसके लिए अक्सर परीक्षार्थी कोचिंग सेन्टर का रूख़ करते हैं। लेकिन अगर हम आपको कहें कि बिना कोचिंग की सहायता के माधोपट्टी के धुरंधर सिविल सेवा परीक्षा में झंडे गाड़ रहे हैं तो क्या आप यकीन करेंगे? यकीनन आपको ये किसी कहानी की तरह प्रतीत होगा लेकिन यह सच है।

लखनऊ के पास महज 75 परिवार वाले छोटे से माधोपट्टी ने देश को अनेक आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अफसर दिए हैं। माधोपट्टी के होनहार छात्रों की सफलता केवल सिविल सेवा तक सीमित नहीं हैं बल्कि वे अपनी सेवाएं इसरो और इंटरनेशनल कोर्ट में भी दे रहे हैं। यूं तो गांव के छात्रों के अफसर बनने का सफ़र 1914 में ही शुरू हो गया था जब माधोपट्टी ने मुस्तफा हुसैन के रूप में 1914 में पहला आईएएस अफसर दिया लेकिन ये चर्चा में तब आया जब माधोपट्टी ने देश को कुल 47 अफसर दिए।

1951 में दूसरा यूपीएससी ऑफिसर: इंदू प्रकाश ने 1951 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएफएस का पद प्राप्त किया और दूसरा टॉपर होने का गौरव अपने नाम किया।

1953 में तीसरा सिलेक्शन: 1953 में माधोपट्टी के विद्या प्रकाश और विनय प्रकाश ने यूपीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त का आईएएस का पद अपने नाम किया।

1964 में दोबारा यूपीएससी अफसर: 1964 में अजय और छत्रपाल ने यूपीएससी में सफलता प्राप्त कर गांव का गौरव बढ़ाया।

बिना कोचिंग केवल हार्डवर्क से सफलता

माधोपट्टी के सफल परीक्षार्थियों की सबसे ख़ास बात ये रही कि इस गांव में दूर-दूर तक कोई कोचिंग सेन्टर नहीं है और तब भी छात्रों की लगन और मेहनत ने सब कुछ बेहद आसान कर देश की कठिनतम परीक्षा में उन्हें स्थान दिलवाया। जहां कोचिंग को कई लोग यूपीएससी की तैयारी और उसके सफर में एक महत्वपूर्ण फैक्टर मानते हैं वहीं माधोपट्टी ने इस मान्यता को सिरे से खारिज कर सफलता के नए कीर्तिमान लिखे हैं।

गांव में पढ़ने वाले छात्रों के लिए मिसाल

बिना कोचिंग, बिना शहरी चार्म के भी ये गांव रौशन है और अफसरों के रूप में उजियारे का काम कर रहा है। माधोपट्टी उन सभी लोगों के लिए मिसाल है जो केवल इस बात से पीछे हट जाते हैं कि वे तो गांव के रहने वाले हैं और गांव से अफसर कैसे पैदा होंगे। लेकिन सच्चाई तो केवल ये है कि मेहनत, लगन और तैयारी किसी गांव या शहर का रूप नहीं देखती। जो मेहनत करता है उसे सफलता ज़रूर मिलती है।

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Live Reporter अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

Umi Patel

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