आईएएस राजेंद्र भरूद : पिता की मौत के बाद मां ने मजदूरी कर बेटे को पढ़ाया, झोपड़ी में रहकर की पढ़ाई और बना IAS अधिकारी

सफलता किसी साधन की मोहताज नहीं होती। सफलता मिलती है जब सपने को साकार करने का जज्बा हो, हौसला हो और कठिन से कठिन वक्त में भी मेहनत करने का जुनून हो। आईएएस राजेंद्र भरूद की कहानी उन युवाओं को प्रेरणा दे सकती है जो सफलता हासिल करने के लिए किसी भी हद तक गुजरने के लिए तैयार रहते हैं.

राजेंद्र भरूद के जीवन में मुश्किलों का दौर उस समय शुरू हो गया जब वो अपनी मां की कोख में थे. जब वो मां के गर्भ में थे तभी उनके पिता का निधन हो गया. घर में गरीबी इतनी ज्यादा थी कि मां को शराब बेचकर परिवार का पालन पोषण करना पड़ता था. लेकिन उससे भी पूरा नहीं पड़ता था. कभी कभी नौबत ये आ जाती थी कि रोते बिलखते भूखे बच्चों को शांत कराने के लिए मां 1-2 बूंद शराब पिला देती थी.

आर्थिक तंगी से गुजर रहे परिवार के आसपास का माहौल भी ज्यादा अच्छा नहीं था लेकिन इस सब के बीच उन्होंने अपने सपनों को खोने ना दिया. कड़ी मेहनत, जुनून और लगन से उन्होंने आईएएस अधिकारी तक का सफर तय किया. आइए विस्तार से जानते हैं झोपड़ी में रहकर पढ़ाई करने से आईएएस अधिकारी बनने के सफर के बारे में

कौन हैं आईएएस राजेंद्र भरूद

महाराष्ट्र के सकरी तालुका के सामोडा गांव में जन्मे राजेंद्र भरूद बहुत गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। गर्भावस्था में ही अपने पिता को खो देने वाले राजेंद्र का कहना है कि उन्होंने आज तक अपने पिता को नहीं देखा क्योंकि उनके घर में गरीबी इतनी थी कि उनके पास उनके पिता की एक तस्वीर भी नहीं है। उनका बचपन बहुत ही आर्थिक तंगी में गुजरा। मां ने मुश्किलों का सामना कर उनका पालन-पोषण किया। उनकी मां ने देसी शराब बेचकर 3 बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा किया। भूख से बिलखते राजेन्द्र को चुप करवाने के लिए मां व दादी अक्सर शराब की एक-दो बूंद पिला देती थी। ताकि बेटा चुपचाप भूखा ही सो जाए।

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Live Reporter अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

Umi Patel

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