कोविड में पति को खोया, अचार का बिज़नेस शुरु किया और अब दूसरों की मदद कर रही हैं 88 वर्षीय नानी, 65 हजार लोगों को मुफ्त भोजन करा चुकी हैं
कोविड ने कई परिवारों की ज़िन्दगी हमेशा के लिए बदल दी. कई लोगों की नौकरी चली गई, बिज़नेस ठप्प हो गए और अनगिनत लोगों ने कोरोनावायरस की वजह से अपनों को खो दिया. 88 वर्षीय नानी, उषा गुप्ता उन्हीं कुछ लोगों में से एक हैं. कोविड की दूसरी लहर में उषा पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा. दिल्ली के बत्रा अस्पताल में 27 दिन तक ज़िन्दगी और मौत के बीच जंग लड़ने के बाद उषा के पति का निधन हो गया. एक ही पल में उनके दशकों पुराना रिश्ता टूट गया.
पति-पत्नी दोनों ही कोरोना संक्रमित
Hindustan Times की एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2021, में उषा और उनके पति दोनों ही कोविड संक्रमित पाए गए. जब दोनों पति-पत्नी अस्पताल में भर्ती थे तब दो बार ऑक्सिजन की कमी हुई और दूसरी बार जब ऐसा हुआ तब उनके पति की तबीयत और ज़्यादा बिगड़ गई.
उषा के शब्दो में, ‘मेरे पति और मैं दोनों ही अप्रैल, 2021 में कोविड पॉज़िटिव पाए गए. हमें अस्पताल में ऑक्सिजन पर रखा गया. मैंने अपनी आंखों के सामने कई युवाओं को तड़पते देख रही थी लेकिन मैं अपने पति से कहती की मैं उनके साथ हूं. अस्पताल में भर्ती होने के तीन हफ़्ते बाद मैंने उन्हें खो दिया. वो 93 साल के थे. 6 दशक साथ रहने के बाद मैं अचानक पूरी तरह अकेली हो गई. मुझे नहीं समझ आ रहा था कि मैं बाक़ी ज़िन्दगी उनके बिना कैसे बिताऊंगी.’
उषा ने अस्पताल में भर्ती रहते हुए कई असहाय कोविड पीड़ितों को देखा और ख़ुद से वादा किया, ‘मैं हिम्मत नहीं हारूंगी.’
उषा ने बताया कि उनके आस-पास हद से ज़्यादा बेबसी थी. ऑक्सिजन की कमी एक समस्या था लेकिन उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी युद्ध के बीच हो. हर एक शख़्स घबराया हुआ था. पति के गुज़रने के बाद उनके अंदर एक कभी न भरने वाला खालीपन घर करने लगा. उषा ने बताया, ‘मैंने देखा परिवारों को कोविड-19 कितनी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है, ख़ासतौर पर वो जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी.’
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