बचपन से जो सपना देखा, उसे पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी छोटे गांव की लड़की और बनीं ISRO में वैज्ञानिक

सबसे मुश्किल होता है अपने सपनों की उड़ान भरना, मेहनत के ईंधन से जब ये उड़ान आसमान की बुलंदियां छूती है तब इंसान को लगता है कि वाकई में उसका जन्म लेना सफल हो गया. सपनों की एक ऐसी ही उड़ान भरी है नाज़नीन यास्मीन ने. छोटे से शहर की नाज़नीन को इसरो ने जूनियर साइंटिस्ट के रूप में चुना है.

छोटे से शहर की नाज़नीन बनी इसरो में वैज्ञानिक

असम के नागांव जिले के जुरिया की रहने वाली नाज़नीन ने तेजपुर विश्वविद्यालय से एम.टेक डिग्री प्राप्त की है. अब इन्हें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में एक जूनियर साइंटिस्ट के रूप में चुना गया है. नाजनीन अपनी इस सफलता पर बेहद खुश हैं. उन्होंने अपने बारे में बताते हुए कहा कि उन्होंने गुवाहाटी विश्वविद्यालय के एनआईटीएस मिर्जा कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स में बी.टेक पूरा किया. इसके बाद उन्होंने 2016 में तेजपुर विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी एम.टेक की डिग्री हासिल की.

कल्पना चावला रही हैं प्रेरणा

उत्साह से भरी नाजनीन ने बताया की बचपन से ही उन्हें अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की कहानी बहुत प्रेरित किया है. वह बचपन से देखना चाहती थी कि रॉकेट कैसे लॉन्च होता है. इसी चाहत ने उनके हौसलों को पंख दिए और आज उन्होंने अपनी चाहत को पा ही लिया.

एक छोटे से शहर की रहने वाली यास्मीन ने इसरो में अपनी जगह बनाने के लिए अपने एक वैज्ञानिक मित्र और इंटरनेट की मदद ली. यास्मीन के अनुसार उन्होंने एम.टेक पूरा करने के बाद अपने वैज्ञानिक मित्र की मदद ली और गूगल पर सर्च किया कि रॉकेट वैज्ञानिक कैसे बनें. अपने सपने को सच करने की ओर कदम बढ़ाते हुए यास्मीन ने 2019 में इसरो में चयन के लिए एक लिखित परीक्षा दी. इसके बाद उन्हें 11 अगस्त, 2021 को शिलांग के नॉर्थ ईस्ट स्पेस एप्लीकेशन सेंटर में साक्षात्कार के लिए बुलाया गया.

इंटरव्यू में ये दिया जवाब

यास्मीन ने अपने इंटरव्यू के बारे में बताते हुए कहा कि उनसे पैनल ने पूछा था कि वह इसरो में क्यों शामिल होना चाहता हैं ? इस पर नाज़नीन का जवाब था कि “मैं एक रॉकेट चलाना चाहती हूं.”

नाज़नीन के पिता अबुल कलाम आज़ाद एक शिक्षक हैं. और उनकी मां मंजिला बेगम एक गृहणी हैं. अपनी स्कूली शिक्षा नागांव के जुरिया के कदमों टाउन हाई स्कूल से पूरी करने वाली यास्मीन भारत सरकार की जूनियर रिसर्च फेलोशिप से भी सम्मानित की जा चुकी हैं. अब नाज़नीन 30 दिसंबर से पहले आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में इसरो मुख्यालय में वैज्ञानिक के रूप में अपने जीवन का नया अध्याय शुरू करेंगी.

[ डि‍सक्‍लेमर: यह न्‍यूज वेबसाइट से म‍िली जानकार‍ियों के आधार पर बनाई गई है. Live Reporter अपनी तरफ से इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है. ]

Umi Patel

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